शहर का ऐतिहासिक रत्न : शनिवारवाड़ा

शनिवारवाड़ा

शनिवारवाडा

परिचय :

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भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे ज़िले में स्थित एक दुर्ग है जिनका निर्माण १८ वीं सदी में १७४६ में किया था। यह मराठा पेशवाओं की गद्दी थी। जब मराठाओं ने ईस्ट इंडिया कम्पनी से नियंत्रण खो दिया तो तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध हुआ था, तब मराठों ने इसका निर्माण करवाया था। दुर्ग खुद को काफी हद तक एक अस्पष्टीकृत आग से १८३८ में नष्ट हो गया था, लेकिन जीवित संरचनाएं अब एक पर्यटक स्थल के रूप में स्थित है वर्ष 1732 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था। कहा जाता है कि उस समय इसे बनाने में करीब 16 हजार रुपये खर्च हुए थे। तब के समय में यह राशि बहुत अधिक थी। उस समय इस महल में करीब 1000 लोग रहते थे। ।
करीब 85 साल तक यह महल पेशवाओं के अधिकार में रहा था, लेकिन 1818 ईस्वी में इसपर अंग्रजों ने अपना अधिकार जमा लिया और भारत की आजादी तक यह उनके ही अधिकार में रहा। कहते हैं कि इस महल की नींव शनिवार के दिन रखी गई थी, इसी वजह से इसका नाम 'शनिवार वाड़ा' पड़ा था।

शनिवार वाड़ा किले की रहस्यमयी कहानियां

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भारत में मौजूद अन्य फोर्ट्स के मुकाबले शनिवार वाड़ा किले की रहस्यमयी कहानी बेहद ही अजीबो-गरीब है। स्थानीय लोगों की माने तो उनका कहना है कि अमावस्या की रात को एक दर्द भरी गूंज पूरे महल और इसके आसपास की जगहों पर सुनाई देती है। आगे ये कहा जाता है कि जो आवाज सुनाई देती है वो सहायता पुकारती हुई प्रतीत होती है
एक अन्य डरावनी कहानी ये है कि सत्ता के लालच में मराठाओं के पेशवा नारायण राव की इस महल में निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के बाद उसकी आत्मा इसी किले में भटकती है और रात के मसय में नारायण राव की चीखें आज भी किले में सुनाई देती है। एक अन्य किदवंती ये है कि एक राजकुमार की भी इसी महल में निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद उसकी भटकती आत्मा की आवाजें महेशा सुनाई देती है।

महल के स्थान

इस महल में ऐसे कई स्थान है जिसे देखने के लिए हर दिन हजारों सैलानी भी घूमने के लिए पहुंचते हैं। नारायण दरवाजा, शनिवार वाड़ा का बाग, लोटस फाउंटेन आदि कई छोटी-छोटी इस्मारते देखने लायक है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल में ही बनी फिल्म बाजीराव मस्तानी में भी शनिवार वाड़ा फोर्ट का कई बार जिक्र किया गया था। इस फोर्ट को पेशवा बाजीराव बल्लाल और बुंदेलखंड की राजकुमारी मस्तानी की प्रेम कहानी से जोड़कर आज भी देखा जाता है। यहां आप सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे के बीच घूमने के लिए जा सकते हैं।

1] नारायण दरवाजा

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2] शनिवार वाड़ा का बाग

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3] लोटस फाउंटेन

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